महाकाल मन्दिर बैजनाथ

ॐ श्री महाकाल मन्दिर जी का धार्मिक महत्व एवं इतिहास ॐ भगवान श्री महाकाल जी ॐ जालन्धर पीठ का यह प्राचीन मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। प्राचीन समय में जालन्धर नामक राक्षश, भगवान शिव का अनन्य भक्त था जिसने अपने कठिन तप से भगवान शिव को प्रसन कर मोक्ष का वरदान माँगा था। परन्तु…

समस्त देवी-देवताओं के गायत्री मंत्र

समस्त देवी-देवताओं के गायत्री मंत्र भगवान गणेश गायत्री मंत्र “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंति प्रचोदयात्‌”   भगवान शिव गायत्री मंत्र “ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात्”  भगवान शनिदेव गायत्री मंत्र “ॐ कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात” भगवान सूर्य गायत्री मंत्र ” ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात”  माँ लक्ष्मी गायत्री मंत्र…

चनौर मंदिर (ठाकुरद्वारा)

चनौर मंदिर ठाकुर द्वारे का इतिहास चनौर गॉंव व्यास नदी के किनारे 3 मील की दुरी पर दक्षिण की और माता चिन्तपूर्णी का मंदिर तथा ५(5) से ६(6) मिल की दुरी पर उत्तर की ओर माता शीतला जी का मंदिर स्थित है। यहाँ द्वापर युग में पाण्डवों के द्वारा बनवाए हुए तीन मन्दिर है। पहला…

हनुमान गायत्री मंत्र

हनुमान गायत्री मंत्र 1. ॐ राम दूताय विदमहे कपिराजाय  धीमहि। तन्नो हनुमान प्रचोदयात ।।  2. ॐ आंजनेयाय  विदमहे महाबलाय धीमहि। तन्नो मारुतिः प्रचोदयात ।।  3. ॐ अंजनीसुताय विदमहे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो  मारुतिः प्रचोदयात ।।  इस हनुमान गायत्री मंत्र का उचारण मनुष्य को मंगलवार के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूर्व दिशा की और…

राम जी के 108 नाम

भगवान राम जी के 108 नाम श्रीराम रामभद्र रामचन्द्र शाश्वत राजीवलोचन श्रीमते राजेन्द्र रघुपुङ्गव जानकीवल्लभ जैत्र जितामित्र जनार्दन विश्वामित्रप्रिय दान्त शरणत्राणतत्पर वालिप्रमथन वाग्मिने सत्यवाचे सत्यविक्रम सत्यव्रत व्रतधर सदाहनुमदाश्रित कौसलेय खरध्वंसी विराधवधपण्डित विभीषणपरित्राता हरकोदण्डखण्डन महादेवादिपूजित सेतुकृते जितवाराशय सर्वतीर्थमय हरि श्यामाङ्ग सुन्दर शूर पीतवासा धनुर्धर सर्वयज्ञाधिप यज्विने जरामरणवर्जित शिवलिङ्गप्रतिष्ठाता सर्वापगुणवर्जित परमात्मा परब्रह्म सच्चिदानन्दविग्रह परंज्योति परंधाम पराकाश परात्पर…

गंगा माँ जी के 108 नाम

माँ गंगा जी के108 नाम गङ्गायै साध्व्यै स्वर्णद्यै जाह्नव्यै पापहन्त्र्यै मन्दाकिन्यै महावेगायै स्रोतस्वत्यै परमवेगिन्यै दिव्यायै भागीरथ्यै भगवत्यै सुरनिम्नगायै श्रेष्ठायै सर्वतीर्थमय्यै शुभायै चतुर्वेदमय्यै सर्वायै त्रिपथगादेव्यै पार्वत्यै शिवपत्न्यै महाभोगायै भोगवत्यै शुद्धायै पुण्यायै निर्मलायै तारायै पारायै संसारतारिण्यै ब्रह्माण्डभेदिन्यै मकरालयायै सदानन्दमय्यै नित्यानन्ददायै नगपूजितायै जह्नुपुत्र्यै जगत्प्रियायै त्रैलोक्यपावन्यै पूर्णायै चारुरूपिण्यै जगदम्बिकायै निर्मलाननायै महाकलुषहन्त्र्यै परमाह्लाददायिन्यै शम्भुमौलिविहारिण्यै स्वर्णशृङ्गप्रभेदिन्यै शिवशीर्षगतालयायै पूर्णब्रह्मस्वरूपिण्यै जगत्पूज्यतमायै शम्भोर्जटामध्यगतायै महामोक्षप्रदायिन्यै…

तुलसी माता जी के 108 नाम

तुलसी माता जी के 108 नाम तुलस्यै नन्दिन्यै देव्यै त्रेतायै त्रिपथगायै त्रिपादायै त्रैमूर्त्यै जगत्रयायै शिखिन्यै धारिण्यै देवगीतायै द्रवीयस्यै पद्मिन्यै सीतायै रुक्मिण्यै धात्र्यै सावित्र्यै सत्यसन्धायै कालहारिण्यै गौर्यै प्रियभूषणायै श्रेयस्यै श्रीमत्यै मान्यायै गौर्यै गौतमार्चितायै कुलायै श्रीयै भूम्यै भवित्र्यै सावित्र्यै त्रासिन्यै गात्रायै गात्रियायै गर्भवारिण्यै शोभनायै समायै द्विरदायै आराद्यै यज्ञविद्यायै महाविद्यायै गुह्यविद्यायै कामाक्ष्यै सरवेदविदाम्वरायै शंखिन्यै चक्रिण्यै चारिण्यै सौरसायै अक्षिण्यै…

विष्णु जी के 108 नाम

भगवान विष्णु जी के 108 नाम नारायण विष्णु वषट्कार भूतभव्यभवत्प्रभु भूतकृत भूतभृत भाव भूतात्मा भूतभावन पूतात्मा परमात्मा मुक्तानां परमागति अव्यय: पुरुष: साक्षी क्षेत्रज्ञ: गरुड़ध्वज योग: योगाविदां नेता प्रधानपुरुषेश्वर नारसिंहवपुष: श्रीमान् केशव पुरुषोत्तम सर्व शर्व शिव  स्थाणु भूतादि निधिरव्यय सम्भव भावन भर्ता प्रभव प्रभु ईश्वर स्वयम्भू शम्भु आदित्य पुष्कराक्ष महास्वण अनादिनिधन धाता विधाता धातुरुत्तम अप्रेमय हृषीकेशा…

चंद्रमा जी के 108 नाम

भगवान चंद्रमा जी के 108 नाम श्रीमते शशधराय चन्द्राय ताराधीशाय निशाकराय सुधानिधये सदाराध्याय सत्पतये जितेन्द्रियाय जयोद्योगाय वीराय विश्वेशाय विदुषां पतये दोषाकराय दुष्टदूराय पुष्टिमते शिष्टपालकाय अनन्ताय स्वप्रकाशाय प्रकाशात्मने द्युचराय भुवनप्रतिपालकाय साधुपूजिताय भयान्तकृते भक्तिगम्याय भवबन्धविमोचकाय  निस्सपत्नाय कलाधराय कालहेतवे कामकृते कामदायकाय मृत्युसंहारकाय अमर्त्याय नित्यानुष्ठानदाय क्षपाकराय क्षीणपापाय क्षयवृद्धिसमन्विताय जैवातृकाय शुचये शुभ्राय जयिने जयफलप्रदाय सुधामयाय सुरस्वामिने भक्तानामिष्टदायकाय भुक्तिदाय मुक्तिदाय भद्राय…

सत्यनारायण व्रत कथा (पंचम अध्याय)

सत्यनारायण व्रत कथा (पंचम अध्याय) श्री सूतजी ने आगे कहा-हे ऋषियों! मैं एक और भी कथा कहता हूं, सुनो-प्रजापालन में लीन तंगध्वज नाम का एक राजा था। उसने भगवान सत्यदेव का प्रसाद त्यागकर बहुत दुख पाया। एक समय राजा वन में वन्य पशुओं को मारकर बड़ के वृक्ष के नीचे आया। वहां उसने ग्वालों को भक्तिभाव से को…