अगर आपने अपने घर मे तुलसी का पौधा लगाया हुआ है या लगाना चाहते है तो जाने कुछ जरुरी बातें –
प्राचीन काल से ही शास्त्रानुसार परंपरा चली आ रही है कि तुलसी का पौधा घर आँगन के बीचों-बिच मुख्यद्वार के सामने स्थापित होना चाहिए। हमारे शास्त्रों में तुलसी की पूजा करने व् तुलसी को पवित्र एवं देवी के रूप मे देखा जाता है। इसलिए तुलसी का घर आँगन मे होना शुभ माना जाता है और उससे सभी समस्त देवी-देवताओं की अपार कृपा घर के ऊपर बनी रहती है। तथा घर के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है व् घर में शुभ और स्वस्थ माहौल बना रहता है। इसके साथ ही हमारे परिवार के ऊपर महालक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है । अतः कुछ और बातें जानने के लिए निचे पढ़े-
- हर रोज करें तुलसी माता जी की पूजा :-
हर रोज तुलसी माता जी की पूजा करनी चाहिए। तथा हर शाम को तुलसी के पोधे के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। जो लोग ऐसा करते हैं,उनके घर मैं साक्षात् महालक्ष्मी की आपार कृपा होती है। - तुलसीको एकऔषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है :-
तुलसी को हजारों वर्षों से विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जा रहा हैं। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बुटि के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण हैं जो कई बीमारियों को दूर करने में सहायक हैं। तुलसी का पौधा हर घर में होने से उसकी खुशबू समस्त वातावरण को पवित्र रखती है और हवा में मौजूद खतरनाक कीटाणुओं को नष्ट करती है। - तुलसी का पौधा सूख जाने के बाद दूसरा तुरंत लगा लेना चाहिए:-
तुलसी का पौधा सूख जाने के बाद दूसरा तुरंत लगा लेना चाहिए। तुलसी का सूखा पौधा घर में होने से घर की बरकत चली जाती है तथा दुष्प्रभाव और बलवान हो जाते हैं। इसलिए घर में तुलसी का पौधा सूख जाने पर तुरंत स्वस्थ पौधा लगा लेना चाहिए। ताकि हम स्वस्थ जीवन का लाभ उठा सकें। - वास्तु दोष दूर करती है तुलसी:-
तुलसी का घर के आंगन में होने से आंगन की अलग सोभा होती है। और वास्तु दोष का समाप्त हो जाते हैं तथा परिवार की आर्थिक स्थिति पर शुभ(अच्छा) असर होता है। - बुरी नजरसे बचाता है तुलसी का पौधा:-
तुलसी का पौधा घर में होने से घर का माहौल शुद्ध एवं स्वस्थ बना रहता है तथा घर मैं शांति बनी रहती है।तुलसी का पौधा घर के आँगन के बीचों – बीच मुख्य द्वार के सामने स्थापित करना चाहिए। जिसके कारण बाहर से आने वाली नकारात्मक शक्तियॉं व् भूरी नजर का प्रभाव पूर्णतः नष्ट हो जाता है। - तुलसी के पत्ते न चबाएं:-
हमें तुलसी के पत्ते हमेशा निगल लेने चाहिए क्योंकि तुलसी के पत्तो को चबाने से उनमे मौजूद पारा धातु के तत्व हमारे दांतों मे लग जाते है तभी यह तत्व दांतों के लिए फ़ायदेमन्द नहीं माना जाता है और तुलसी के पत्तो का सेवन इस प्रकार (निगलने से) और भी कई विमारियों अथवा रोगों मे लाभ प्राप्त होता है। इसलिए तुलसी के पत्तो को वीना चबाए निगल लेना चाहिए। - एक पत्ती तुलसी का सेवन करने से मिलते है:- यह फ़ायदे
तुलसी की एक पत्ती का हर रोज सेवन करने से तुलसी की महक (सुगंध) हमें मुहं एवं श्वास संबंधी सभी रोगों से रक्षा / बचाती है और साथ ही हमें सामान्य सर्दी, जुकाम ,बुखार आदि से बचाव होता है तथा बदलते मौसम के परिवर्तन आने पर होने वाली स्वाथ्य संबंधी रोगों से भी हमे रक्षा प्रदान करती है। तुलसी के पत्तो के रोजाना सेवन से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वढ़ जाती है। इसलिए हमे नियमित रूप से तुलसी का सेवन करना चाहिए। - कुछ ऐसे दिन है जिनमें तुलसी के पत्ते हमें नहीं तोड़ने चाहिए:-
वेद शास्त्रों मे लिखा है कि तुलसी के पत्ते कुछ खाश दिनों मे नहीं तोड़ने चाहिए। जैसे की रविवार,एकादशी और चंद्रग्रहण / सूर्यग्रहण इन दिनों में और रात में हमें तुलसी के पत्ते कभी भी नहीं चाहिए और बिना जरूरत के भी हमें तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। क्योंकि ऐसा करने वाले मनुष्य को भारी दोषो का सामना करना पड़ता है। बिना जरूरत के तुलसी के पत्ते तोड़ना उसे नष्ट / खत्म करने के समान माना जाता है। - घर में तुलसी का सूखा पौधा नहीं रखना चाहिए:-
तुलसी का पौधा अगर घर में सुख जाता है तो उसे साफ बहते हुए पानी मे प्रवाह कर दें। अगर तुलसी का सूखा हुआ पौधा घर मे रहता है तो उसे अपवित्र / भूरा माना जाता है। इसलिए इसके तुरन्त सुख जाने के बाद नया पौधा लगा लें। - तुलसी के पत्ते शिवलिंग और भगवान गणपति की पूजा मे प्रयोग न करें:-
वैसे तो तुलसी पूजा प्रक्रिया में अपना विशेष महत्व दर्शाती है। लेकिन जब हम भगवान शिव और भगवान गणेश की पूजा करते है तो इसका प्रयोग पूर्णतः निषेद माना जाता है। हमारे पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव ने तुलसी के पति और असुरो (राक्षशो) के राजा शंखचूड़ का संहार (वध) किया जिनके परिणाम स्वरूप तुलसी के पत्ते न तो शिव पूजन में काम आते है और न ही शिवलिंग पर शंख द्वारा जल अर्पित करते है। तथा दूसरी कथा मे यह वर्णित है कि जब गणेश ने तुलसी से विवाह प्रस्ताव को न माना और कहा की मैं ब्रह्मचारी हूँ। जिसके कारण तुलसी ने दुखी होकर और गुस्से मे आकर गणेश भगवान को दो विवाह का श्राप दे दिया। जिसके विपरीत गणेश भगवान ने तुलसी को भी एक दैत्य (राक्षस) के साथ विवाह होने का श्राप दे दिया। इसलिए हम गणेश भगवान की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं करते है।