सफेद शिवलिंग (गंगथ, नूरपुर, काँगड़ा)
हिमाचल प्रदेश अपने आप में देवी देवताओं की बहुत ही पवित्र तथा पावन भूमि है, जिसके के कारण हिमाचल को देव भूमि हिमाचल की संज्ञा दी गई है। हिमाचल के कोने-कोने में ऐतिहासिक व् प्रसिद्ध पावन मंदिर विद्यमान हैं। ऐसे ही हिमाचल प्रदेश के गंगथ के पुराने बाजार में प्राचीन शिव मंदिर जिसमें सफेद रंग का शिवलिंग विराजमान है जोकि एक अदभुद शिवलिंग है इसके दर्शन के लिए प्रदेश सहित देशभर के श्रद्धालुओं का पुरे साल आना-जाना लगा रहता है। इस शिवलिंग की २० (20) इंच ऊंचाई तथा ५२ (52) इंच गोलाई है। एक कथनुसार इंदपुर गाँव में कटोच वंश के व्यक्ति बाबा मग्गो राम को स्वपन्न में भगवान् शिव ने माओगढ़ किले में अदभुद सफेद शिवलिंग होने का संदेश दिया था की यह किला नागाबाड़ी पंचायत में स्थित है। १६६० (1660) ईसवी में नूरपुर के राजा जगत सिंह का एक शानदार किला माओगढ़ के नाम से जाना जाता था। राजा जगत सिंह भगवान् शिव के भक्त थे। राजा ने अपने किले के मंदिर में इस सफेद शिवलिंग को स्थापित करवाया था। जब शाहजहां ने माओगढ़ पर हमला किया था तो युद्ध में किले को तहस-नहस कर दिया था जिसके कारण सफेद शिवलिंग धरती में समा गया था। कांतार में भगवान् शिव ने इंदपुर के बाबा मग्गो राम को स्वप्न में उसी जगह में उक्त शिलिंग के होने का संदेश दिया था। उन्होंने गांववासियों को साथ लेकर उस किले की खुदाई शुरू की खुदाई के समय जब फावड़ा (कस्सी) शिवलिंग से टकराया तो शिवलिंग से ओढ़ की धारा प्रवाहित हो उठी। फावड़े से लगी खरोंचें आज भी देखि जा सकती हैं। मग्गो राम सफेद शिवलिंग को पालकी में उठाकर इंदपुर ला रहे थे तो गंगथ में थोड़ी देर विश्राम करने के लिए रुके ओर जैसे ही शिव लिंग को दोबारा उठाया तो पिंडी हिली भी नही और शिव आज्ञा पाकर विधिपूर्वक इसे यहीं स्थापित कर दिया।
शिवलिंग की महत्ता: इस गाँव में जब भी कभी सूखे की स्थिति पैदा होती है तो नजदीक की छोंछ नाम की खड्ड से जल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। जैसे ही गांववासियों के द्वारा किये गए जलाभिषेक की धारा एक किलोमीटर दूर स्थित छोंछ खड्ड में मिलती है तो बादल बरसाने शुरू हो जाते हैं, तथा सूखे की स्थिति ख़त्म हो जाती है। आज भी शिवलिंग को स्पर्श करवाकर शिवलिंग को अपने घरों में स्थापित करते हैं। यहां पर शिवरात्रि का पर्व धूमधाम से माया जाता है। जिसमे दूर-दूर से श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं।