श्री चामुण्डा नन्दिकेश्वर धाम इतिहास एवं परिचय
श्री चामुण्डा नन्दिकेश्वर धाम
इतिहास एवं परिचय
यस्माचण्ड च मुण्ड च गृहीत्वा त्वमुपागता।
चामुण्डेति ततो लोके ख्याता देवी भविष्यसि।।
भारत वर्ष के उत्तराखंड राज्य में जालन्धर पीठ के अन्तर्गत माता श्री चामुण्डा नन्दिकेश्वर धाम प्राचीन काल से भगवान शिव सकती का अदभुत स्थान है। यह स्थान जालन्धर पीठ के इतिहास में उत्तरी द्वारपाल के रूप में मन जाता है। यहाँ जालन्धर नामक असुर और महादेव के मध्य युद्ध के समय पर माँ भगवती चामुण्डा को अधिष्ठात्री देवी एवं रुद्रत्व पद प्राप्त हुआ था तभी से लेकर यह क्षेत्र रूद्र चामुण्डा रूप के नाम से जाना जाता है।
माँ चामुंडा नन्दिकेश्वर धाम हिमाचल के ५ (5) शक्तिपीठों में से एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। जहाँ पर माँ भगवती कौशिकी ने अपनी भृकुटि से माँ चण्डिका को उत्पन्न किया और उसे दैत्य राक्षस चण्ड-मुण्ड का वध करने को कहा। तब माँ चण्डिका ने विराट रूप धारण कर दैत्य राक्षस चण्ड-मुण्ड के साथ घोर संग्राम कर उनका वध कर दिया। अतः माता चण्डिका ने दोनों दैत्यों के सिरों को काटकर, माँ भगवती कोशिकी के चरणों मे अर्पण किया। तब माँ भगवती कोशिकी ने प्रसन्न होकर कहा की तुमने चण्ड-मुण्ड दैत्यों का वध किया है इसलिए इस संसार में तुम चामुण्डा नाम से प्रसिद्ध होगी। तब से लेकर आज तक माँ चण्डिका को चामुण्डा नाम से जाना जाता है।