पीपल की पूजा और पीपल के वृक्ष का प्रमुख महत्व

भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं को वृक्षों में पीपल बताया है। ऋग्वेद में पीपल के वृक्ष को देव रूप में दर्शाया गया है। यजुर्वेद में यह हर यज्ञ में प्रयोग करने के लिए बताया गया है। अथर्ववेद में कहा है की इसमें समस्त देवता निवास करते है। पीपल के पेड़ का महत्व बौद्ध पौराणिक इतिहास के साथ रामायण, गीता, महाभारत, सभी धार्मिक पवित्र हिन्दू ग्रन्थों में इसका उल्लेख है। पीपल के पत्ते कभी भी समाप्त नहीं होते है। यह पत्ते मनुष्य के जीवन की तरह है। जब भी पतझड़ का मौसम आता है तबी पत्ते झड़ते है लकिन उस समय भी पीपल की पत्ते सभी एक साथ नहीं झड़ते और फिर साथ-साथ नए पत्तों के आने से पीपल का वृक्ष पीर से हरा भरा हो जाता है। पीपल की यह भूमिका मनुष्य के जन्म-मरण को दर्शाती है। पीपल का पेड़ ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जो कभी भी कार्बन डाईआक्साइड नहीं छोड़ता है। वह रात और दिन यानि की 24 घंटे आक्सीजन छोड़ता है। इसलिए पीपल के वृक्ष के नीचे बैठने से बहुत आनन्द मिलता है। प्राचीन समय में ऋषि-मुनि पीपल के वृक्ष के नीचे रहते थे और तप पूजा करते थे। पीपल  के  नीचे बैठकर यज्ञ पूजा करने पर अक्षय फल प्राप्त होता है।

हिन्दू धर्म में मनुष्य के अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को एक मटकी में एकत्रित कर लाल कपड़े में बांधने के बाद उस मटकी को पीपल के पेड़ से टांगने की प्रथा है। उन अस्थियों को घर नहीं लाया जाता है। इसलिए यही कहा जाता है कि मरने वाले मनुष्य की आत्मा पीपल के वृक्ष में वास करने लगती है।  सस्त्रोअनुसार यदि कोई मनुष्य पीपल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग की मूर्ति की स्थापना करता है तथा हर रोज उसकी पूजा करता है तो उस मनुष्य की सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्त हो जाता है। पैसों की कमी नहीं रहती और आर्थिक समस्या कुछ ही समय में दूर हो जाती है। शनि की साढ़ेसती या ढेय्या के कुप्रभाव से बचने के लिए मनुष्य को हर शनिवार पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात बार पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए। हिन्दू धर्म के अनुसार मनुष्य को हर शाम के समय पेड़ के वृक्ष  के नीचे सुद्ध सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो शनिवार की रात को पीपल की जड़ के साथ दीपक जरूर जलाएं। ऐसा करने से मनुष्य के घर में सुख-समृद्धि, धन की प्राप्ति और खुशहाली बनी रहती है और कारोबार में भी सफलता मिलती है तथा रुके हुए काम बनने लगते हैं। यह हमारे लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।

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