हनुमान जी के 108 नाम
- आंजनेया
- महावीर
- हनूमत
- मारुतात्मज
- तत्वज्ञानप्रद
- धीर
- शूर
- अक्षहन्त्रे
- कांचनाभ
- पंचवक्त्र
- परयन्त्र प्रभेदक
- सर्वग्रह विनाशी
- भीमसेन सहायकृथे
- सर्वदुखः हरा
- सर्वलोकचारिणे
- मनोजवाय
- प्राज्ञाय
- रामदूत
- प्रतापवते
- पारिजात द्रुमूलस्थ
- सर्वमन्त्र स्वरूपवते
- सर्वतन्त्र स्वरूपिणे
- सर्वयन्त्रात्मक
- कपीश्वर
- महाकाय
- सर्वरोगहरा
- प्रभवे
- श्रीमते
- महातपसी
- बल सिद्धिकर
- कपिसेनानायक
- भविष्यथ्चतुराननाय
- कुमार ब्रह्मचारी
- रत्नकुण्डल दीप्तिमते
- गन्धर्व विद्यातत्वज्ञ
- महाबल पराक्रम
- काराग्रह विमोक्त्रे
- शृन्खला बन्धमोचक
- सागरोत्तारक
- सीतादेविमुद्राप्रदायक
- अशोकवनकाच्छेत्रे
- सर्वमायाविभंजन
- वानर
- केसरीसुत
- सीताशोक निवारक
- अन्जनागर्भसम्भूता
- बालार्कसद्रशानन
- विभीषण प्रियकर
- दशग्रीव कुलान्तक
- लक्ष्मणप्राणदात्रे
- वज्रकाय
- महाद्युत
- चिरंजीविने
- रामभक्त
- दैत्यकार्य विघातक
- सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायक
- लन्किनी भंजन
- चंचलद्वाल-सन्नद्धलम्बमान-शिखोज्वला
- सिंहिकाप्राण भंजन
- गन्धमादन शैलस्थ
- लंकापुर विदायक
- सुग्रीव सचिव
- दैत्यकुलान्तक
- सुरार्चित
- महातेजस
- रामचूडामणिप्रदायक
- कामरूपिणे
- पिंगलाक्ष
- वार्धिमैनाक पूजित
- कबलीकृत-मार्ताण्डमण्डलाय
- विजितेन्द्रिय
- रामसुग्रीव सन्धात्रे
- महारावण मर्धन
- स्फटिकाभा
- वागधीश
- नवव्याकृतपण्डित
- सर्वबन्धविमोक्त्रे
- रक्षोविध्वंसकारक
- परविद्या परिहार
- परशौर्य विनाशन
- परमन्त्र निराकर्त्रे
- चतुर्बाहवे
- दीनबन्धुरा
- महात्मा
- भक्तवत्सल
- संजीवन नगाहर्त्रे
- सुचये
- वाग्मिने
- दृढव्रता
- कालनेमि प्रमथन
- हरिमर्कट मर्कटा
- दान्त
- शान्त
- प्रसन्नात्मने
- शतकन्टमदापहते
- योगी
- मकथा लोलाय
- सीतान्वेषण पण्डित
- वज्रद्रनुष्ट
- वज्रनखा
- रुद्रवीर्य समुद्भवा
- इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र-विनिवारक
- पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने
- शरपंजर भेदक
- दशबाहवे
- लोकपूज्य
- जाम्बवत्प्रीतिवर्धन
- सीताराम पादसेवा