चिंतपूर्णी माता की सायंकाल की आरती
जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय।
भय हारिणि भव तारिणी भव भामिणी जय जय। । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
तू ही सतचित सुखमय, शुद्ध ब्र्ह्म रूपा माँ।
सत्य सनातन सुंदर, पर-शिवं-सुर-भूपा माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी।
अमल अनन्त अग अज आनन्द राशि माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
अविकारी अघहारी, अकल कलाधारी माँ।
कर्त्ता विधि भर्ता हरि हर संहारकारी माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
तू विधि वधु,रमा,तू उमा महामाया माँ।
मूल प्रऔति विद्या तू, तू जननी जाया माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
राम, औष्ण तू सीता, ब्र्ज रानी राधा माँ।
तू वाञ्छा कल्प द्रुम, हरिणी सब बाधा माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
दश विद्या नव दुर्गा, नाना शस्त्रा करा माँ।
अष्ट मातृका योगिनी,नव नव रूप धरा माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
तू पर धाम निवासिनी महा विलासिनी तू माँ।
तू ही शमशान विहारिणी ताण्डव लासिनी तू माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
सुर मुनि मोहित सोभ्या, तू शोभा धारा माँ।
विवसन विकट स्वरूपा, प्रलय मयी धारा माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
तू ही स्नेह सुधामयी, तू अति गरल मना माँ।
रत्न बिभूषित तू ही, तू ही अस्थि तना माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
मूलाधार निवासिनी इह पर सिद्धिप्रदे माँ।
कालाअतीता काली, कमला तू वर दे माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
शक्ति शक्तिधर तू ही, नित्य अभेदमयी माँ।
भेद प्रदर्शिनी वाणी, विमले वेदत्रायी माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
हम अति दिन दुःखी माँ विपत जाल घेरे माँ।
है कपूत अति कपटी पर बालक तेरे माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
निज स्वभाव वशं जननी, दया दृष्टि कीजे माँ।
करूणा कर करूणामयी, चरण दिजे माँ । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।
। । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । । जग जननी जय जय माँ, जग जननी जय जय । ।