शिव चालीसा

॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देउ अभय वरदान ।। ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजापति दीनदयाला । सदा करत संतन प्रतिपाला ।। भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के ।। अंग गौर सिर गंग बहाए । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ।। वस्त्र खाल बाघंबर सोहै । छवि को देखि नाग मुनि मोहै ।। मैना मातु कि हवै दुलारी । वाम अंग…

दुर्गा चालीसा

दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन…