माता चिंतपूर्णी जी की आरती
जय चिंतपूर्णी माता, चिंता हरो माता। जीवन मे सुख दे दो ,कष्ट हरो माता।
उच्चा पर्वत तेरा, झण्डे झूल रहे। करे आरती सारे, मन मे फूल रहे।।
सती के शुभ चरणों पर मंदिर है भारी। छिंन मस्तिका कहते सारे संसारी।
माईदास एक ब्राह्मण ,स्वप्न दरस दिए। पूजा पिण्डी ध्यान कर, आनन्द भाव किये।।
बरगद पेड़ है दर पे सुख भण्डार भरे। घण्टे धन -धन बजे ,जय जय कार करें।
कन्या गाती दर पे मधुर स्वरों मे जब। जिनको सुन के, चिन्ता, मन की हटे माँ तब।।
पान सुपारी ध्वजा नारियल, छन्ना चुन्नी संग मे। चन्दन इन्ना गुलाब जल, भेंट चढ़े।
चिन्तित जीवन की माँ, तुम हो रखवाली। सेवक आरती करता, कर में लिए थाली।।
जय चिंतपूर्णी माता, चिंता हरो माता। जय चिंतपूर्णी माता, चिंता हरो माता।।